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 इस राज्य में पान की खेती के लिए 50% प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है

इस राज्य में पान की खेती के लिए 50% प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है

पान का स्वाद बहुत लोगों को पसंद होता है। पान के लोकप्रिय होने की वजह से बिहार सरकार ने मगही पान की खेती के लिए अनुदान देने की घोषणा की है। मगही पान की खेती की अगर हम कुल लागत की बात करें तो वह 70,500 रु होती है। इसके लिए 50% प्रतिशत मतलब कि 32,250 रुपये का अनुदान सरकार की तरफ से मिलेगा। 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भारत में कृषकों को लेकर सरकार भिन्न भिन्न तरह की योजनाएं चलाती है। इससे कृषकों भाइयों को काफी लाभ दिया जा सके। कृषकों के लिए सरकार विभिन्न प्रकार की फसलों पर सब्सिडी की सुविधा मुहैय्या कराती है। बिहार राज्य में खेती करने वाले कृषकों के लिए बिहार सरकार ने एक काफी बड़ी सौगात दी है। बिहार में पान को लेकर काफी ज्यादा रूचि देखी जाती है। इसके चलते बिहार सरकार ने पान की खेती के लिए अनुदान देने की घोषणा कर दी है। पान की खेती के लिए सरकार द्वारा इस प्रकार सब्सिड़ी मिलेगी।

पान की खेती पर मिलेगा 32,250 रुपये तक अनुदान

पान को एक प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर कहा जाता है। सामान्य तौर पर संपूर्ण भारत में काफी पान के शौकीन हैं। लेकिन बिहार राज्य की बात कुछ हटकर है। बिहार राज्य का मगही पान कुछ ज्यादा ही मशहूर है। इसको जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन का टैग भी हांसिल हो चुका है। बाजार में इसकी काफी ज्यादा मांग होती है।

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इन्ही सब बातों को मन्देनजर रखते हुए बिहार सरकार ने मगही पान की खेती के लिए अनुदान देने की घोषणा कर दी है। मगही पान की खेती की कुल लागत 70,500 रु के आसपास होती है। अब इसके लिए 50 प्रतिशत का अनुदान सरकार की तरफ से मिलेगा। मतलब कि कोई अगर मगही पान की खेती करता है तो उसको 32,250 रुपये तक की सब्सिडी बिहार सरकार की तरफ से प्रदान की जाऐगी।

किसान भाई इस योजना का कैसे लाभ उठा सकते हैं ?

किसानों को विशेष फसल योजना के अंतर्गत बिहार सरकार के कृषिमंत्रालय के विभाग ने मगही पान के लिए अनुदान देने की घोषणा कर दी है। बिहार सरकार द्वारा वर्तमान में संचालित इस योजना के अंतर्गत अनुदान का लाभ लेने के लिए आधिकारिक वेबसाइट https://horticulture.bihar.gov.in पर जाऐं।  बतादें कि इसके पश्चात पान विकास योजना पर क्लिक करें। अब इसके बाद आवेदन करें लिंक पर क्लिक करें। इसके उपरांत समस्त आवश्यक डीटेल्स भरने के पश्चात आवेदन सबमिट कर सकते हैं।

जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई

जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई

जालंधर में नूरमहल के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान (Divya Jyoti Jagrati Sansthan)ने जैविक खेती की प्रेरणा एवं प्रशिक्षण के पुनीत कार्य में मिसाल कायम की है। बीते 15 सालों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में रत इस संस्थान ने कैसे अपने मिशन को दिशा दी है, कैसे यहां किसानों को प्रशिक्षित किया जाता है, कैसे सेवादार इसमें हाथ बंटाते हैं जानिये।

सफलता की कहानी -

जैविक खेती के मामले में आदर्श नूरमहल के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में जनजागृति एवं प्रशिक्षण की शुरुआत कुल 50 एकड़ की भूमि से हुई थी। अब 300 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की जा रही है। अनाज की बंपर पैदावार के लिए आदर्श रही पंजाब की मिट्टी, खेती में व्यापक एवं अनियंत्रित तरीके से हो रहे रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से लगातार उपजाऊ क्षमता खो रही है। जालंधर के नूरमहल स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने इस समस्या के समाधान की दिशा में आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है।

गौसेवा एवं प्रेरणा -

संस्थान में गोसेवा के साथ-साथ पिछले 15 सालों से किसानों को जैविक खेती के लाभ बताकर प्रेरित करने के साथ ही प्रशिक्षित किया जा रहा है। संस्थान की सफलता का प्रमाण यही है कि साल 2007 में 50 एकड़ भूमि पर शुरू की गई जैविक कृषि आधारित खेती का विस्तार अब 300 एकड़ से भी ज्यादा ऊर्जावान जमीन के रूप में हो गया है। यहां की जा रही जैविक खेती को पर्यावरण संवर्धन की दिशा में मिसाल माना जाता है। ये भी पढ़ें: देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, 30 फीसदी जमीन पर नेचुरल फार्मिंग की व्यवस्था

सेवादार करते हैं खेती -

संस्थान के सेवादार ही यहां खेती-किसानी का काम संभालते हैं। किसान एवं पर्यावरण के प्रति लगाव रखने वालों को संस्थान में विशेष कैंप की मदद से प्रशिक्षित किया जाता है। गौरतलब है कि गौसेवा, प्रशिक्षण के रूप में जनसेवा एवं जैविक कृषि के प्रसार के लिए प्रेरित कर संस्थान प्रकृति संवर्धन एवं स्वस्थ समाज के निर्माण में अतुलनीय योगदान प्रदान कर रहा है।

रासायनिक खाद के नुकसान -

संस्थान के सेवादार शिविरों में इस बारे में जागरूक करते हैं कि रासायनिक खाद व कीटनाशक से लोग किस तरह असाध्य बीमारियों की चपेट में आते हैं। इससे होने वाली शुगर असंतुलन, ब्लड प्रेशर, जोड़ दर्द व कैंसर जैसी बीमारियों के बारे में लोगों को शिविर में सावधान किया जाता है। ये भी पढ़ें: जैविक खेती में किसानों का ज्यादा रुझान : गोबर की भी होगी बुकिंग यहां लोगों की इस जिज्ञासा का भी समाधान किया जाता है कि जैविक खेती के कितने सारे फायदे हैं। जैविक कृषि विधि से संस्थान गेहूं, धान, दाल, तेल बीज, हल्दी, शिमला मिर्च, लाल मिर्च, कद्दू, अरबी की खेती कर रहा है। साथ ही यहां फल एवं औषधीय उपयोग के पौधे भी तैयार किए जाते हैं।

गोमूत्र निर्मित देसी कीटनाशक के फायदे -

संस्थान के सेवादार फसल को खरपतवार और अन्य नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों से बचाने के लिए खास तौर से तैयार देसी कीटनाशक का प्रयोग करते हैं। इस स्पेशल कीटनाशक में भांग, नीम, आक, गोमूत्र, धतूरा, लाल मिर्च, खट्टी लस्सी, फिटकरी मिश्रण शामिल रहता है। इसका घोल तैयार किया जाता है। फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए जैविक कृषि के इस स्पेशल स्प्रे का इस्तेमाल समय-समय पर किया जाता है। ये भी पढ़ें: गाय के गोबर से बन रहे सीमेंट और ईंट, घर बनाकर किसान कर रहा लाखों की कमाई

जैविक उत्पाद का अच्छा बाजार -

जैविक उत्पादों की बिक्री में आसानी होती है, जबकि इसका दाम भी अच्छा मिल जाता है। इस कारण संस्थान में प्रशिक्षित कई किसान जैविक कृषि को आदर्श मान अब अपना चुके हैं। जैविक कृषि आधारित उत्पादों की डिमांड इतनी है कि, लोग घर पर आकर फसल एवं उत्पाद खरीद लेते हैं। इससे उत्पादक कृषक को मंडी व अन्य जगहों पर नहीं जाना पड़ता।

पृथक मंडी की दरकार -

यहां कार्यरत सेवादारों की सलाह है कि जैविक कृषि को सहारा देने के लिए सरकार को जैविक कृषि आधारित उत्पादों के लिए या तो अलग मंडी बनाना चाहिए या फिर मंडी में ही विशिष्ट व्यवस्था के तहत इसके प्रसार के लिए खास प्रबंध किए जाने चाहिए। ये भी पढ़ें: एशिया की सबसे बड़ी कृषि मंडी भारत में बनेगी, कई राज्यों के किसानों को मिलेगा फायदा संस्थान की खास बात यह है कि, प्रशिक्षण व रहने-खाने की सुविधा यहां मुफ्त प्रदान की जाती है। संस्थान की 50 एकड़ भूमि पर सब्जियां जबकि 250 एकड़ जमीन पर अन्य फसलों को उगाया जाता है।

कथा, प्रवचन के साथ आधुनिक मीडिया -

अधिक से अधिक लोगों तक जैविक कृषि की जरूरत, उसके तरीकों एवं लाभ आदि के बारे में उपयोगी जानकारी पहुंचाने के लिए संस्थान धार्मिक समागमों में कथा, प्रवचन के माध्यम से प्रेरित करता है। इसके अलावा आधुनिक संचार माध्यमों खास तौर पर इंटरनेट के प्रचलित सोशल मीडिया जैसे तरीकों से भी जैव कृषि उपयोगिता जानकारी का विस्तार किया जाता है। संस्थान के हितकार खेती प्रकल्प में पैदा ज्यादातर उत्पादों की खपत आश्रम में ही हो जाती है। कुछ उत्पादों के विक्रय के लिए संस्थान में एक पृथक केंद्र स्थापित किया गया है।

गोबर, गोमूत्र आधारित जीव अमृत -

जानकारी के अनुसार संस्थान में लगभग 900 देसी नस्ल की गायों की सेवा की जाती है। इन गायों के गोबर से देसी खाद, जबकि गो-मूत्र से जीव अमृत (जीवामृत) निर्मित किया जाता है। इस मिश्रण में गोमूत्र, गुड़ व गोबर की निर्धारित मात्रा मिलाई जाती है। गौरतलब है कि गोबर के जीवाणु जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

खेती किसानी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें हमेशा अनिश्चितताएं बनी रहती हैं। कभी भी मौसम की मार किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर सकती है। मौसम की बेरुखी के कारण किसानों को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ता है।

अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो देश भर में मौसम ने अपना कहर बरपाया है, जिससे लाखों किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कई दिनों तक चली बरसात और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें तबाह हो गईं। 

सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं, चना, मसूर और सरसों की फसलों को हुआ है। ऐसे नुकसान से बचने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई आसानी से की जा सकती है।

लेकिन कई बार देखा गया है कि किसान इस योजना के साथ नहीं जुड़ते। ऐसे में किसानों को सरकार अपने स्तर पर अनुदान देती है ताकि किसान अपने पैरों पर खड़े रह पाएं। 

किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार की सरकार ने 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' चलाई है। इस योजना के तहत यदि किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदा के कारण किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो सरकार अनुदान के रूप में किसानों को 13,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। 

यह मदद ऐसे किसानों को दी जाएगी जो सिंचित इलाकों में खेती करते हों। इसके साथ ही 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' के अंतर्गत असिंचित इलाकों में खेती करने वाले किसानों को फसल नुकसान पर 6,800 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। 

राज्य के ऐसे कई इलाके हैं जहां पर नदियों से आने वाली रेत के कारण फसल चौपट हो जाती है। ऐसे किसानों को फसल नुकसान पर 12,200 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ये किसान कर सकते हैं आवेदन

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिहार का स्थायी निवासी होना जरूरी है। इसके साथ ही किसान के पास खुद की कम से कम 2 हेक्टेयर कृषि भूमि होना चाहिए। 

डीबीटी के माध्यम से अनुदान ट्रांसफर करने में आसानी हो, इसके लिए किसान का बैंक खाता उसके आधार कार्ड नंबर से लिंक होना चाहिए। 

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योजना का लाभ लेने के लिए ये दस्तावेज होंगे जरूरी

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, वोटर आई डी, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, घोषणा पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि होना जरूरी है। इन सभी चीजों का विवरण आवेदन करते समय देना अनिवार्य है।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल को होने वाले नुकसान का अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान भाई बिहार के कृषि विभाग की वेबसाइट https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

इस वेबसाइट पर जाकर किसान खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इसके साथ ही आवेदन करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय, वसुधा केंद्र या जन सेवा केंद्र पर भी संपर्क कर सकते हैं।

अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 50 प्रतिशत अनुदान

अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 50 प्रतिशत अनुदान

बेगूसराय जनपद में किसान केला, नींबू, पपीता और आम की खेती काफी बड़े पैमाने पर करते हैं। परंतु, अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों की तादात आज भी बहुत कम है। बिहार राज्य में किसान दलहन, तिलहन, धान और गेहूं के साथ-साथ बागवानी फसलों की भी बड़े पैमाने पर खेती करते हैं। दरभंगा, हाजीपुर, मुंगेर, मधुबनी, पटना, गया और नालंदा समेत तकरीबन समस्त जनपदों में किसान फल और सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। विशेष कर इन जनपदों में किसान सेब, आलू, भिंडी, लौकी, आम, अमरूद, केला और लीची की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। परंतु, वर्तमान में उद्यान विभाग द्वारा बेगूसराय जनपद में अमरूद का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए शानदार योजना तैयार की है। इस योजना के अंतर्गत अमरूद की खेती चालू करने वाले उत्पादकों को मोटा अनुदान दिया जाएगा।

केवल इतनी डिसमिल भूमि वाले किसान उठा पाएंगे लाभ

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत बेगूसराय जनपद में अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। मुख्य बात यह है, कि इस योजना के अंतर्गत जनपद में 5 हेक्टेयर भूमि पर अमरूद की खेती की जाएगी। जिन किसान भाइयों के पास न्यूनतम 25 डिसमिल भूमि है, वह अनुदान का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए कृषकों को कृषि विभाग की आधिकारिक वेवसाइट पर जाकर आवेदन करना पड़ेगा। यह भी पढ़ें: अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा

अमरुद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 40 प्रतिशत अनुदान

बतादें, कि बेगूसराय जनपद में किसान केला,नींबू, पपीता और आम की बड़े स्तर पर खेती करते हैं। लेकिन, जनपद में अमरूद की खेती करने वाले कृषकों की तादात आज भी जनपद में बेहद कम होती है। यही कारण है, कि कृषि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत जनपद में अमरूद की खेती का क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी करने की योजना बनाई और किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला लिया है। किसान रामचंद्र महतो ने कहा है, कि यदि सरकार अनुदान प्रदान करती है, तो वह अमरूद की खेती अवश्य करेंगे।

बेगूसराय में कितने अमरुद लगाने का लक्ष्य तय किया गया है

साथ ही, जिला उद्यान पदाधिकारी राजीव रंजन ने कहा है, कि सरदार अमरूद एवं इलाहाबादी सफेदा जैसी प्रजातियों के पौधे कृषकों को अनुदान पर मुहैय्या कराए जाऐंगे। उनका कहना है, कि अमरूद के बाग में 3×3 के फासले पर एक पौधा लगाया जाता है। यदि किसान भाई एक हेक्टेयर भूमि में खेती करेंगे तो उनको 1111 अमरूद के पौधे लगाने होंगे। साथ ही, बेगूसराय जनपद में 5555 अमरूद के पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
बिहार सरकार मशरूम की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार मशरूम की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बतादें कि वर्तमान में बिहार सरकार मशरूम के ऊपर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। बिहार सरकार का कहना है, कि मशरूम की खेती से राज्य के लघु एवं सीमांत किसानों की आमदनी में इजाफा किया जा सकता है। बिहार राज्य में किसान पारंपरिक फसलों समेत बागवानी फसलों का भी जमकर उत्पादन करते हैं। यही कारण है, कि बिहार मखाना, मशरूम, लंबी भिंडी और शाही लीची के उत्पादन में अव्वल दर्जे का राज्य बन चुका है। हालांकि, राज्य सरकार से किसानों को बागवानी फसलों की खेती करने के लिए बंपर सब्सिडी भी दी जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार प्रदेश में कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. इन योजनाओं के तहत किसानों को आम, लीची, कटहल, पान, अमरूद, सेब और अंगूर की खेती करने पर समय- समय पर सब्सिडी दी जाती है।

हजारों की संख्या में किसान अपने घर के अंदर ही मशरूम उगा रहे हैं

बतादें कि मशरूम बागवानी के अंतर्गत आने वाली फसल है। साथ ही, मशरूम की खेती में काफी कम खर्चा आता है। मशरूम उत्पादन हेतु खेत व सिंचाई की भी कोई आवश्यकता नहीं होती है। यदि किसान भाई चाहें तो अपने घर के अंदर भी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। फिलहाल, बिहार में हजारों की तादात में किसान घर के अंदर ही मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनको काफी अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है। दरअसल, मशरूम अन्य सब्जियों जैसे कि लौकी, फूलगोभी और करेला आदि की तुलना में महंगा बिकता है। अब ऐसी स्थिति में मशरूम की खेती करने पर किसानों को कम खर्च में अधिक मुनाफा होता है। यही वजह है, कि बिहार सरकार मशरूम की खेती पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।

मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 फीसद अनुदान

वर्तमान में बिहार राज्य के मशरूम उत्पादकों के लिए काफी अच्छा अवसर है। बतादें, कि फिलहाल कृषि विभाग एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 प्रतिशत अनुदान मुहैय्या करा रही है। मुख्य बात यह है, कि राज्य सरकार द्वारा कंपोस्ट उत्पादन के लिए इकाई लागत 20 लाख रुपए तय की गई है। उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर किसान भाई इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यह भी पढ़ें: बिहार में मशरूम की खेती कर महिलाएं हजारों कमा हो रही हैं आत्मनिर्भर

बिहार में पिछले साल हजारों टन मशरूम की पैदावार हुई थी

बिहार राज्य में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कुछ न कुछ योजना जारी कर रही है। बिहार सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अगर किसान भाई चाहें, तो अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रखंड उद्यान पदाधिकारी अथवा अपने जनपद के सहायक उद्यान निदेशक से सम्पर्क साध सकते हैं। बतादें, कि बिहार मशरूम उत्पादन के मामले में भारत के अंदर प्रथम स्थान पर है। इसके उपरांत दूसरे स्थान पर ओडिशा आता है। विगत वर्ष बिहार में 28000 टम मशरूम की पैदावार हुई थी।
इस राज्य में मधुमक्खी पालन करने पर कृषकों को 90 प्रतिशत अनुदान मिलेगा

इस राज्य में मधुमक्खी पालन करने पर कृषकों को 90 प्रतिशत अनुदान मिलेगा

खेती किसानी के साथ ही मधुमक्खी पालन (Beekeeping) करने से भी किसानों की आमदनी बढ़ सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार उद्यान निदेशालय ने मधुमक्खी पालन (Beekeeping) और हनी मिशन योजना की शुरुआत की है। इस योजना के अंतर्गत मधुमक्खी पालन करने वाले किसान भाइयों को 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए बिहार उद्यान निदेशालय द्वारा मधुमक्खी पालन के लिए योजना जारी की जा रही है। यह योजना बी कीपिंग एंड हनी मिशन के नाम से चलाई जा रही है। दरअसल, इस योजना के अंतर्गत मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को अनुदान दिया जाता है। सामान्य वर्ग के किसानों को 75 प्रतिशत और एससी, एसटी के लिए राज्य सरकार द्वारा 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। मधुमक्खी पालन के लिए औजार जैसे- हनी प्रोसेसिंग, बाटलिंग व हनी टेस्टिंग और मधुमक्खी बक्सा पर अनुदान का प्रावधान किया गया है। गौरतलब है, कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत कुल अनुदान सामान्य जाति के लिए 75 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के लिए 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाता है। 

बिहार सरकार शहद उत्पादन को प्रोत्साहन दे रही है

बिहार सरकार शहद उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को 75,000 मधुमक्खी के बक्से और छत्ते देगी। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि डीबीटी पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसान ही इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। बक्से के साथ ही मधुमक्खी पालक छत्ता भी प्रदान किया जाएगा। छत्ते में रानी, ड्रोन और वर्कर्स के साथ 8 फ्रेम उपस्थित होंगे। सभी फ्रेमों की भीतरी दीवार मधुमक्खियों और ब्रुड्स से पूर्णतय ढंकी होगी। इसके साथ ही शहद निकलाने के लिए मधु निष्कासन यंत्र पर भी अनुदान दिया जाएगा।

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मधुमक्खी पालन से होने वाले लाभ

अगर किसान इसे व्यवसाय के रूप में करते हैं, तो इसके बहुत सारे लाभ हैं। वहीं, इससे फसलों के परागण में भी काफी सहायता मिलती है। इससे फसल का उत्पादन बढ़ता है। किसान मधुमक्खी पालन करके उससे निकले शहद को बाजारों में बेचकर काफी बेहतरीन मुनाफा भी कमा सकते हैं।

 

योजना का लाभ उठाने के लिए इस तरह आवेदन करें

ऑनलाइन आवेदन करने के लिए सर्वप्रथम उद्यान विभाग की आधिकारिक  वेबसाइट  http://horticulture.bihar.gov.in/ पर जाना होगा। इसके बाद होम पेज पर योजना का विकल्प चयन करें। इसके बाद आप एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना पर क्लिक करें। फिर मधुमक्खी पालन के लिए आवेदन करें। इसके बाद रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुल जाएगा। इसके बाद मांगी गई सारी जानकारी को ध्यानपूर्वक भर दें। समस्त जानकारी भरने के पश्चात आप सबमिट कर दें। फिर आपका सफलतापूर्वक आवदेन जमा हो जाएगा।

इस राज्य में 108 कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों को अनुदान दिया जाएगा

इस राज्य में 108 कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों को अनुदान दिया जाएगा

बिहार सरकार द्वारा कृषि यंत्र खरीदने पर अनुदान देने के लिए योजना का आरंभ किया है। राज्य सरकार की तरफ से इस योजना के लिए कुल 4,87,67,796 रुपये का बजट आवंटित किया हुआ है। बिहार सरकार इस बजट के अनुरूप कुल 108 कृषि यंत्रों पर किसानों को अनुदान धनराशि प्रदान करेगी। जैसा कि सब जानते हैं, कि देश की राज्य सरकारें निरंतर किसानों की आमदनी दोगुनी करने के मिशन के लिए विभिन्न तरह की योजनाओं को चला रही हैं। बिहार सरकार कृषकों के लिए खेती को और भी ज्यादा सुगम बनाने के लिए तकनीक पर विशेष बल दे रही हैं। साथ ही, सरकार ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कृषि यंत्रों पर 80 फीसद तक के अनुदान की घोषणा की है। राज्य सरकार द्वारा यह योजना कृषि में तकनीक को प्रोत्साहित करने और किसानों को कम खर्चे में अधिक मुनाफे को मन्देनजर रखते हुए जारी की है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि वर्तमान में इस योजना का फायदा सिर्फ गया जनपद के मूल निवासी किसान ही उठा पाएंगे। बिहार सरकार ने इस योजना के लिए समकुल 4,87,67,796 रुपये का बजट भी पास किया हुआ है। राज्य सरकार इस धनराशी के अनुरूप कुल 108 कृषि यंत्रों पर किसानों को अनुदान धनराशि प्रदान करेगी।

इन खास कृषि यंत्रों पर रहेगी निगरानी

बिहार सरकार द्वारा कृषि यंत्र के लिए इस योजना के अंतर्गत 4,87,67,796 रुपये के बजट की धनराशि को आवंटित किया गया है। राज्य सरकार इसके लिए कुल 108 प्रकार के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देगी। इस अनुदान में कुछ खास कृषि यंत्रों पर विशेष बल दिया जायेगा, इनके अंतर्गत स्ट्रा बेलर, स्ट्रा रीपर एवं रीपर कम बाईंडर, हैपी सीडर और सुपर सीडर आदि होंगे। बिहार सरकार यह धनराशि अनुदान के लिए कुल धनराशि का 33 फीसद खर्च करेगी।

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अद्यतन मालगुजारी रसीद से ही सब्सिड़ी मिलेगी

राज्य सरकार की इस योजना के अंतर्गत फायदा लेने वाले कृषकों के लिए अद्यतन मालगुजारी रसीद दिखाना अत्यंत जरूरी होगा। दरअसल, बिहार सरकार ने यह नियम सिर्फ 20 हजार रुपये से ज्यादा के कृषि यंत्रों की खरीद पर रखा है। मालगुजारी रसीद के लिए किसान 2022-23 अथवा 2021-22 में से कोई भी एक साल की रसिद दिखा कर योजना का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। परंतु, यदि किसानों ने तात्कालिक रसीद भी अर्जित की हुई है, तो वह रसीद भी योजना लाभ के लिए मान्य रहेगी। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि यदि किसानों के पास किसी भी साल की रसीद मौजूद नहीं है एवं वह इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो उनको जनपद के कृषि समन्वयक के द्वारा सत्यापन कराना आवश्यक होगा। 20 हजार से कम के यंत्रों के लिए एलपीसी अथवा 3 सालों में से कोई एक रसीद लगाने का प्रावधान नहीं है। इस तरह के उपकरणों की खरीद करने पर किसान सीधे-तौर पर फायदा उठा सकते हैं।

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आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी

कृषकों को इस कृषि यंत्र अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन फार्म मेकेनाईजेशन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (OFMAS) पोर्टल पर जाकर अप्लाई करना होगा। लेकिन यह आवश्यक नहीं है, कि आवेदन करने के उपरांत किसानों को अनुदान मिल ही जाए। यह भी संभव है, कि उनको यह अनुदान का लाभ न भी मिल पाए। दरअसल, राज्य सरकार ज्यादा आवेदन की परिस्थिति में ऑनलाइन लॉटरी के प्रावधान को रखेगी। इसमें भी कई किसानों को नंबर के मुताबिक प्रतीक्षा में रखा जायेगा।
सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में 75 फीसद अनुदान

सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में 75 फीसद अनुदान

बिहार में सब्जियों की पैदावार को ज्यादा करने एवं किसानों की सहायता करने के मकसद से राज्य सरकार सब्जी विकास योजना चला रही है। इस योजना के तहत सरकार बीजों की खरीद पर 75 फीसद का अनुदान प्रदान कर रही है। बिहार में कृषकों ने सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए रबी फसलों के साथ ही सब्जी की बिजाई चालू कर दी है। सरकार भी उनका सहयोग कर रही है, जिससे कि पैदावार क्षमता के साथ किसानों की आमदनी बढ़ सके। इसके साथ-साथ सरकार सब्जी पैदावार के क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए अनुदान प्रदान कर रही है। 

साथ ही, जयादा से ज्यादा संख्या में कृषकों को सब्जी विकास योजना के अंतर्गत बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने की योजना तैयार कर रही है। बिहार सरकार ने सब्जी विकास योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत विभिन्न सब्जियों की खेती के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा। इस योजना के तहत कृषकों को उच्च मूल्य वाली सब्जियों के बीजों के वितरण के लिए अनुदान मिलेगा। सरकार सब्जियों में बिना बीज के खीरा, बैंगन एवं बाकी सब्जियों की खेती पर भी अनुदान प्रदान कर रही है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया भी चालू हो चुकी है। इच्छुक किसानों को आवेदन करने का अवसर मिला है, जिससे कि वे इस योजना का फायदा उठा सकें।

सरकार बीजों पर 75 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार की तरफ से सब्जियों की उन्नत प्रजाति के बीजों पर कृषकों को धनराशि देने का निर्णय किया गया है, जिसमें 75 फीसद अनुदान करके उच्च मूल्य वाले खीरे एवं बैंगन की इकाई लागत शम्मिलित है। सब्जी विकास योजना के तहत किसानों को एक उप-अवयव में निर्धारित सीमा तक धनराशि प्रदान की जाएगी। सब्जी के 1,000 से 10,000 तक के खरीद पर धनराशि प्रदान की जाएगी। किसानों को 0.25 एकड़ से 2.5 एकड़ तक की सब्जी खेती के बीज पर भी धनराशि प्रदान की जाएगी।

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आवेदन ऑनलाइन माध्यम से करना पड़ेगा

उद्यान पदाधिकारी सूरज पांडेय का कहना है, कि सब्जी विकास योजना का फायदा लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया अब चालू कर दी गई है। उन्होंने बताया है, कि जिन कृषकों के पास जो योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो उनके समीप पूर्व से ही 13 अंकों के डीबीटी संख्या होनी जरूरी है। बतादें, कि जिन कृषकों के पास यह तादात नहीं हो, वे आधिकारिक वेबसाइट dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीकरण करके इस संख्या की प्राप्ति कर सकते हैं। पंजीकरण संख्या हांसिल होने के पश्चात, किसान horticulture.bihar.gov.in वेबसाइट के लिंक पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

Mushroom Farming: मशरूम की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान की सुविधा

Mushroom Farming: मशरूम की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान की सुविधा

बिहार सरकार एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राज्य के कृषकों को मशरूम की खेती करने पर 50 फीसद तक अनुदान की सुविधा दी जा रही है। जिससे कि राज्य में मशरूम पैदावार के साथ-साथ मशरूम की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो सके। मशरूम की खेती कर कृषक कम समय में शानदार आमदनी कर सकते हैं। लेकिन, इसके लिए किसानों को मशरूम की खेती से जुड़ी सही जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मशरूम की खेती के लिए सरकार की ओर से भी आर्थिक तौर पर सहायता की जाती है। इसी कड़ी में अब बिहार सरकार ने राज्य के किसानों को मशरूम की खेती करने के लिए शानदार अनुदान की सुविधा उपलब्ध की है। दरअसल, बिहार सरकार की तरफ से मशरूम की खेती करने वाले कृषकों को तकरीबन 50 फीसद तक की सब्सिड़ी दी जाएगी, जिससे राज्य में मशरूम की पैदावार के साथ-साथ कृषकों की आय में भी बढ़ोतरी हो सके। मशरूम की खेती पर सब्सिडी की यह सुविधा सरकार एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत उपलब्ध करवा रही है। ऐसी स्थिति में आइए बिहार सरकार की ओर से किसानों को मिलने वाली मशरूम की खेती पर अनुदान के विषय में विस्तार से जानते हैं।

मशरूम की खेती पर कितना अनुदान मिलेगा

बिहार सरकार के द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम की खेती पर किसानों को सब्सिडी की सुविधा शुरू की गई है। सरकार की ओर से इस योजना के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, जिसके अंतर्गत मशरूम उत्पादन इकाई का खर्चा लगभग 20 लाख रुपये तय किया गया है, जिसमें से राज्य के कृषकों को तकरीबन 10 लाख रुपये तक के अनुदान की सुविधा प्राप्त होगी। ऐसा कहा जा रहा है, कि सरकार की इस योजना में मशरूम स्पॉन एवं मशरूम कंपोस्ट पर 50 फीसद की आर्थिक सहायता मिलेगी।

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मशरूम की खेती पर अनुदान हेतु आवेदन प्रक्रिया

यदि आप किसान हैं, एवं अपने खेत में मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो बिहार सरकार की यह योजना आपके लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है। राज्य के इच्छुक कृषक मशरूम की खेती पर मिलने वाले अनुदान का लाभ उठाने के लिए बिहार बागवानी की आधिकारिक बेवसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस योजना से संबंधित ज्यादा जानकारी हांसिल करने के लिए किसान अपने समीपवर्ती कृषि विभाग से भी संपर्क साध सकते हैं।

इस राज्य में पपीते की खेती के लिए 75 % प्रतिशत अनुदान दिया जाऐगा

इस राज्य में पपीते की खेती के लिए 75 % प्रतिशत अनुदान दिया जाऐगा

बिहार सरकार की ओर से पपीते की खेती करने वाले कृषकों को अनुदान प्रदान किया जाएगा। इसका फायदा किसान भाई आधिकारिक साइट पर जाकर ले सकते हैं। भारत भर में बहुत सारे फलों की खेती की जाती है।बिहार में भी विभिन्न तरह के फलों की खेती की जाती है, जिसमें लीची काफी ज्यादा खास है। परंतु, फिलहाल सरकार ने पपीते की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए किसान भाइयों को अनुदान देना शुरू कर दिया है।इसकी खेती करने वाले किसानों को बम्पर अनुदान दिया जाऐगा। दरअसल, पपीता की खेती काफी ज्यादा फायदेमंद व्यवसाय है।पपीता एक स्वादिष्ट एवं पौष्टिक फल है, जिसका उपभोग वर्ष भर किया जाता है।बागवानी क्षेत्र में पपीता की खेती की काफी शानदार आय की संभावना को देखते हुए बिहार सरकार प्रदेश के किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।इसके अंतर्गत सरकार किसानों को पपीते के बाग लगाने के लिए अच्छा खासा अनुदान देती है।

एकीकृति बागवानी मिशन योजना के तहत मिलेगा लाभ 

एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत किसानों को पपीता की खेती के लिए 75 फीसद अनुदान दिया जाता है। राज्य सरकार ने पपीता की खेती के लिए प्रतिहेक्टेयर 60,000 रुपये की इकाई लागत तय की है।कृषकों को इस पर 75% (45,000) रुपये का अनुदान मिलेगा। एक हेक्टेयर में पपीता की खेती के लिए केवल 15 हजार रुपये की लागत आऐगी। 

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किसान भाई यहाँ आवेदन करें 

किसान भाई राज्य में पपीते की खेती करने के इच्छुक हैं। साथ ही, सरकार की योजना का लाभ पाना चाहते हैं। ऐसे कृषक आधिकारिक साइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन करना पड़ेगा। बतादें, कि अधिक जानकारी के लिए किसान भाई आधिकारिक साइट अथवा नजदीकी उद्यान विभाग के कार्यालय पर जाकर भी संपर्क साध सकते हैं।

बिहार में मखाना प्रोसेसिंग यूनिट खोलने के लिए मिलेगा 85% प्रतिशत अनुदान

बिहार में मखाना प्रोसेसिंग यूनिट खोलने के लिए मिलेगा 85% प्रतिशत अनुदान

मखाना प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित कर लाखों की आय करना चाहते हैं, तो आज का यह लेख आपके लिए बेहद फायदेमंद है। भारत में 85% प्रतिशत मखाने की पैदावार केवल बिहार में होती है। बिहार के मिथिलांचल मखाना को जीआई टैग (GI Tag) भी हांसिल हुआ है। मखाने की खेती के साथ राज्य सरकार मखाना प्रोसेसिंग पर बल दे रही है। इसी कड़ी में मखाना प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए कैपिटल सब्सिडी की पेशकश की गई है।  राज्य सरकार के इस कदम से मखाना प्रोसेसिंग यूनिट लगाके शानदार धनराशि कमा सकेंगे। परंतु, प्रोसेसिंग इकाई नहीं होने के कारण ज्यादा पैदावार करने के पश्चात भी किसान को उतना ज्यादा मुनाफा नहीं होता है। ऐसी स्थिति में बिहार की नीतीश सरकार ने मखाना उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में ये एक बड़ा कदम उठाया है |

मखाना प्रोसेसिंग यूनिट को प्रोत्साहन दिया जाएगा 

दरअसल, बिहार सरकार का मानना है, कि मखाना उत्पादक राज्य होने के बावजूद भी बिहार के कृषक समुचित मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं। चूंकि, फूड प्रोसेसिंग इकाई के अभाव के कारण किसान ओने-पौने भाव पर अपनी पैदावार को बेचने पर मजबूर हैं। अगर राज्य में मखाना प्रोसेसिंग यूनिट को प्रोत्साहन दिया जाए, तो किसानों की आमदनी बढ़ जाऐगी। साथ ही, किसान आत्मनिर्भर भी बनेंगे। यही कारण है, कि सरकार ने कृषकों को मखाना प्रोसेसिंग यूनिट पर अनुदान देने का निर्णय लिया है। इसके लिए बिहार कृषि प्रोत्साहन नीति के अंतर्गत सरकार ने मखाना प्रोसेसिंग यूनिट को बढ़ाने की योजना निर्मित की है। 

किसान भाई अनुदान से इस तरह लाभ उठा सकते हैं 

किसान भाई इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। योजना के अंतर्गत उन कृषकों को अनुदान दिया जाएगा, जो प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करना चाहते हैं। अनुदान का फायदा उठाने के लिए आपको उद्यान निदेशालय की वेबसाइट https://horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा।

मखाना प्रोसेसिंग इकाई खोलने के लिए कितना अनुदान मिलेगा ?

यदि आप प्रोसेसिंग इकाई खोलने के लिए व्यक्तिगत, पार्टनरशिप, समिति अथवा किसी कंपनी के माध्यम से निवेश करना चाहते हैं, तो आपको 15 फीसद तक का अनुदान मिलेगा। वहीं, किसान उत्पादक कंपनियों के लिए 25% फीसद अनुदान रहेगा। अनुदान का लाभ उठाने के लिए कृषकों को वक्त पर आवेदन करना पड़ेगा। अगर किसान ज्यादा जानकारी हांसिल करना चाहते हैं, तो वे जिला उद्यान अधिकारी से सीधे संपर्क साध सकते हैं। ये भी पढ़ें: ये भी मखाना की खेती करके किसान हो सकते हैं मालामाल मिल रहा है 75% सब्सिडी

बिहार राज्य के इन जिलों में मखाने की खेती की जाती है  

बतादें, कि बिहार का मखाना देश-दुनिया में मशहूर है। यही कारण है, कि मिथिला के मखाने को जीआई टैग भी हांसिल हुआ है। बिहार में मखाने की खेती सबसे ज्यादा सुपौल, मधुबनी, समस्तीपुर और दरभंगा जनपद में की जाती है। मखाने की पैदावार में बिहार की भागीदारी 80 से 90 प्रतिशत तक है। अब ऐसी स्थिति में बिहार के किसान सरकार की इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
इस राज्य के किसानों को फसल विविधीकरण योजना के तहत 50% फीसदी अनुदान

इस राज्य के किसानों को फसल विविधीकरण योजना के तहत 50% फीसदी अनुदान

फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत सुगंधित एवं औषधीय पौधों के प्रत्यक्षण के लिए ऑनलाइन आवेदन 22 जनवरी 2024 से चालू हो गए हैं। बिहार सरकार कृषकों को फसल विविधीकरण करने के लिए बढ़ावा दे रही है। इससे ना केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जाऐगा। इस योजना के चलते किसानों को सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती करने से ज्यादा धनराशि मिल सकती है। किसानों को योजना के अंतर्गत पचास फीसद तक अनुदान मिल रही है।

इन फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है 

बिहार सरकार तुलसी, शतावरी, लेमन ग्रास, पाम रोजा और खस की खेती को फसल विविधीकरण के अंतर्गत प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। 22 जनवरी 2024 से योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करना प्रारंभ हो गया है। बिहार के 9 जनपदों के किसान इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। इस योजना का फायदा बिहार के नौ जनपदों के कृषकों को प्राप्त हो सकता है। इन जनपदों में पश्चिम चम्पारण, नवादा, सुपौल, सहरसा, खगड़िया, वैशाली, गया, जमुई और पूर्वी चम्पारण शम्मिलित हैं। योजना का फायदा उठाने के लिए इच्छुक किसान सुगंधित एवं औषधीय पौधों का क्षेत्र विस्तार कर सकते हैं, जिसका रकबा कम से कम 0.1 हेक्टेयर और अधिकतम 4 हेक्टेयर हो सकता है।

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कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है   

बिहार के उद्यान निदेशालय ने फसल विविधीकरण योजना को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी साझा की है, जिसमें कहा गया है कि किसानों को लेमनग्रास, पाम रोजा, तुलसी, सतावरी एवं खस की खेती करने के लिए 50% प्रतिशत अनुदान मुहैय्या कराया जाऐगा। अगर इसकी इकाई की लागत 1,50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है। बतादें, कि कृषकों को इस पर 50% प्रतिशत मतलब कि 75 हजार रुपये का अनुदान दिया जाऐगा।

योजना का लाभ हांसिल करने के लिए आवेदन कहां करें

किसान भाई इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसान उद्यान निदेशालय की आधिकारिक साइट horticulture.bihar.gov.in पर मौजूद 'फसल विविधीकरण योजना' के 'आवेदन करें' लिंक पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक किसान आधिक जानकारी के लिए संबंधित जनपद के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क साध सकते हैं।